स्वामी समर्थ तारक मंत्र अर्थ सहित tarak mantra with meaning

Shree Swami Samarth Tarak Mantra– श्री स्वामी समर्थ, भारतीय धार्मिक इतिहास के महान संत और आध्यात्मिक गुरु, दत्तात्रेय के दूसरे अवतार माने जाते हैं। उनके जन्म और जीवन की कहानी रहस्यों से भरी है, जो आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

स्वामी समर्थ के बारे में प्राचीन कथाओं में बताया गया है कि वे पहली बार आंध्र प्रदेश के घने जंगलों में प्रकट हुए थे। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा वहीं बिताया और बाद में कई स्थानों की यात्रा की। हिमालय, तिब्बत, नेपाल, गिरनार, वाराणसी, पुरी, हरिद्वार और कई अन्य धार्मिक स्थलों पर उनके यात्रा का उल्लेख है।

अपने जीवन के विभिन्न चरणों में, स्वामी समर्थ ने भक्तों को आध्यात्मिक शिक्षा दी और उन्हें सही मार्ग दिखाया। उनके शिष्य चोलप्पा के घर पर एक मंदिर स्थापित है, जो आज भी उनके अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान है।

श्री स्वामी समर्थ का संदेश और उनकी जीवनी संत वामनभाऊ महाराज ने “श्री गुरुलीलामृत” में लिखी है, जो आज भी उनके भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।

Shree Swami Samarth Tarak Mantra श्री स्वामी समर्थ तारक
Shree Tarak Mantra श्री तारक मंत्र

श्री स्वामी समर्थ ध्यान मंत्र

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tarak mantra lyrics | स्वामी समर्थ तारक मंत्र lyrics

श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र- Shree Swami Samarth Tarak Mantra

मना, निर्भय होई रे मना ।
प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी, नित्य आहे रे मना ।
अतर्क्य अवधूत हे स्मर्तुगामी,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।१।।

इस का अर्थ है:

हे मन, बेझिझक और निडर हो जाओ। स्वामी समर्थ की अद्भुत शक्ति हमेशा तुम्हारे साथ है। स्वामी समर्थ की ताकत इतनी बड़ी है कि वह हर समय तुम्हारे पीछे खड़े हैं। वे अवतारी और महान संत हैं, जो हमारी हर प्रार्थना सुनते हैं और असंभव को भी संभव बना देते हैं।

व्याख्या:

निशंक होई रे मना, निर्भय होई रे मना: इस पंक्ति में कहा गया है कि हे मन, तुम सभी शंकाओं और डर को छोड़ दो। तुम्हारे अंदर कोई भय नहीं होना चाहिए।

प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी, नित्य आहे रे मना: यहाँ बताया गया है कि स्वामी समर्थ की विशाल शक्ति हमेशा तुम्हारे पीछे है, हर दिन और हर पल। उनका बल तुम्हें हमेशा सहारा देता है।

अतर्क्य अवधूत हे स्मर्तुगामी: स्वामी समर्थ अतर्क्य (जिसे समझ पाना कठिन है) और अवधूत (जिसने सांसारिक बंधनों से मुक्ति पा ली है) हैं। वे हमारी हर प्रार्थना को सुनते हैं और उसका उत्तर देते हैं।

अशक्य ही शक्य करतील स्वामी: स्वामी समर्थ असंभव कार्यों को भी संभव बना सकते हैं। उनकी शक्ति और कृपा से कोई भी कठिनाई हल की जा सकती है।

निष्कर्ष: 

श्री स्वामी समर्थ का नाम लेने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है। उनका आशीर्वाद जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से भक्त को साहस और शक्ति मिलती है, और वे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। स्वामी समर्थ की कृपा से हर असंभव कार्य भी संभव हो सकता है। उनका विश्वास हमें निरंतर प्रोत्साहित करता है और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

जिथे स्वामीचरण तिथे न्युन्य काय,
स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय।
आज्ञेवीना काळ ही ना नेई त्याला,
परलोकी ही ना भीती तयाला
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।२।।

इस का अर्थ है:

जहां स्वामी समर्थ के चरण होते हैं, वहां कोई भी कमी नहीं होती। स्वामी समर्थ की कृपा से भक्त का प्रारब्ध (भाग्य) भी बदल सकता है। बिना स्वामी समर्थ की आज्ञा के काल (मृत्यु) भी भक्त को नहीं ले सकता, और परलोक में भी उसे कोई डर नहीं होता। स्वामी समर्थ असंभव को भी संभव बना सकते हैं।

व्याख्या:

जिथे स्वामीचरण तिथे न्युन्य काय: इस पंक्ति में बताया गया है कि जहां स्वामी समर्थ के चरण होते हैं, वहां किसी भी चीज की कमी नहीं होती। उनकी उपस्थिति में सभी आवश्यकताएं पूरी होती हैं।

स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय: स्वामी समर्थ इतने शक्तिशाली हैं कि वे भक्त का प्रारब्ध (भाग्य) भी बदल सकते हैं। उनकी कृपा से भक्त का जीवन संवर सकता है।

आज्ञेवीना काळ ही ना नेई त्याला: स्वामी समर्थ की आज्ञा के बिना काल (मृत्यु) भी भक्त को नहीं ले सकती। उनके आशीर्वाद से भक्त दीर्घायु और सुरक्षित रहता है।

परलोकी ही ना भीती तयाला: स्वामी समर्थ के भक्त को परलोक (मृत्यु के बाद का जीवन) में भी किसी प्रकार का भय नहीं होता। उनकी कृपा से भक्त निडर और शांत रहता है।

अशक्य ही शक्य करतील स्वामी: स्वामी समर्थ की शक्ति इतनी महान है कि वे असंभव कार्यों को भी संभव बना सकते हैं। उनकी कृपा से हर कठिनाई हल हो सकती है।

निष्कर्ष:

स्वामी समर्थ की भक्ति से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिल सकता है। उनके चरणों में समर्पण करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। स्वामी समर्थ की कृपा से भक्त का भाग्य भी सुधर सकता है। उनका आशीर्वाद व्यक्ति को मृत्यु के भय से मुक्त करता है और जीवन में आत्मविश्वास और साहस देता है। उनकी शक्ति और करुणा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

उगाची भितोसी भय हे पळु दे,
वसे अंतरी ही स्वामीशक्ति कळु दे ।
जगी जन्म मृत्यु असे खेळ ज्यांचा,
नको घाबरू तू असे बाळ त्यांचा
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।३।।

इस का अर्थ है:

और मृत्यु एक खेल हैं, तू उनके बच्चे की तरह मत डर। स्वामी समर्थ असंभव को भी संभव बना सकते हैं।

व्याख्या:

उगाची भितोसी भय हे पळु दे: इस पंक्ति में कहा गया है कि तू बेवजह डरता है, इस डर को अपने मन से दूर कर दे। तू डरने की आवश्यकता नहीं है।

वसे अंतरी ही स्वामीशक्ति कळु दे: जान ले कि स्वामी समर्थ की शक्ति तेरे अंदर वास करती है। इस शक्ति का अहसास कर और अपनी भीतरी ताकत को पहचान।

जगी जन्म मृत्यु असे खेळ ज्यांचा: जिनके लिए जन्म और मृत्यु एक खेल के समान हैं, स्वामी समर्थ उन महान संतों में से एक हैं। उनके लिए यह सब केवल एक लीला है।

नको घाबरू तू असे बाळ त्यांचा: तू उनके बच्चे की तरह मत डर। यदि तू स्वामी समर्थ का भक्त है, तो तुझे किसी भी प्रकार का भय नहीं होना चाहिए। वे तेरा हमेशा ध्यान रखते हैं।

अशक्य ही शक्य करतील स्वामी: स्वामी समर्थ की शक्ति इतनी महान है कि वे असंभव कार्यों को भी संभव बना सकते हैं। उनकी कृपा से हर कठिनाई हल हो सकती है।

निष्कर्ष:

स्वामी समर्थ की भक्ति से व्यक्ति निडर और आत्मविश्वासी बनता है। उनकी शक्ति और आशीर्वाद से जीवन में आने वाली हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है। यह मंत्र हमें याद दिलाता है कि स्वामी समर्थ की शक्ति हमारे अंदर है और हमें हर डर और चिंता से मुक्त कर सकती है। उनके आशीर्वाद से जन्म और मृत्यु की हर चिंता दूर हो जाती है। स्वामी समर्थ की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। उनका स्मरण करने से मन को शांति और साहस मिलता है।

खरा होई जागा श्रद्धेसहित,
कसा होसी त्याविण तू स्वामिभक्त ।
आठव! कितीदा दिली त्यांनीच साथ,
नको डगमगु स्वामी देतील हात
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।४।।

इस का अर्थ है:

सच्चे मन से श्रद्धा रखने पर ही सच्चा जागरण होता है। बिना श्रद्धा के तू स्वामी समर्थ का भक्त कैसे बन सकता है? याद कर, कितनी बार उन्होंने तुझे सहारा दिया है। डगमगा मत, स्वामी समर्थ हमेशा तेरा हाथ थामेंगे। वे असंभव को भी संभव बना सकते हैं।

व्याख्या:

खरा होई जागा श्रद्धेसहित: सच्चा जागरण तभी होता है जब मन में सच्ची श्रद्धा होती है। बिना श्रद्धा के स्वामी समर्थ का वास्तविक आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो सकता।

कसा होसी त्याविण तू स्वामिभक्त: यदि तू सच्ची श्रद्धा नहीं रखता, तो तू स्वामी समर्थ का सच्चा भक्त कैसे बन सकता है? श्रद्धा और विश्वास बहुत महत्वपूर्ण हैं।

आठव! कितीदा दिली त्यांनीच साथ: याद कर, कितनी बार स्वामी समर्थ ने तुझे मुश्किल समय में सहारा दिया है। वे हमेशा तेरे साथ रहे हैं और तुझे सहायता प्रदान की है।

नको डगमगु स्वामी देतील हात: डगमगा मत, स्वामी समर्थ हमेशा तेरा हाथ थामेंगे। उनकी कृपा से तुझे कभी अकेला नहीं महसूस होगा। वे तुझे हर कठिनाई में सहारा देंगे।

अशक्य ही शक्य करतील स्वामी: स्वामी समर्थ की शक्ति इतनी महान है कि वे असंभव कार्यों को भी संभव बना सकते हैं। उनकी कृपा से हर कठिनाई हल हो सकती है।

निष्कर्ष:

स्वामी समर्थ की भक्ति से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और विश्वास आता है। सच्ची श्रद्धा और भक्ति से ही स्वामी समर्थ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनकी कृपा से जीवन की सभी समस्याएं हल हो जाती हैं। स्वामी समर्थ ने हमेशा अपने भक्तों का सहारा दिया है और आगे भी देंगे। उनका आशीर्वाद और समर्थन हमें हर मुश्किल समय में मदद करता है। उनकी शक्ति से असंभव भी संभव हो जाता है।

विभूति नमननाम ध्यानार्दी तीर्थ,
स्वामीच या पंचामृतात।
हे तीर्थ घेइ आठवी रे प्रचिती,
ना सोडती तया, जया स्वामी घेती हाती ।।५।।

इस मंत्र का अर्थ है:

विभूति, नमन, नाम, ध्यान, और तीर्थ – ये सभी स्वामी समर्थ के पंचामृत हैं। इन तीर्थों का सेवन कर, अनुभव कर कि स्वामी समर्थ तुझे कभी नहीं छोड़ेंगे, जिन्हें स्वामी समर्थ अपने हाथ में ले लेते हैं।

व्याख्या:

विभूति नमननाम ध्यानार्दी तीर्थ: यहाँ विभूति, नमन (प्रणाम), नाम (नामस्मरण), ध्यान (ध्यान), और तीर्थ (तीर्थ यात्रा) को स्वामी समर्थ के पंचामृत के रूप में माना गया है। ये पाँच तत्व भक्त के लिए महत्वपूर्ण हैं और स्वामी समर्थ की भक्ति का हिस्सा हैं।

स्वामीच या पंचामृतात: ये सभी स्वामी समर्थ के पंचामृत हैं। उनका सेवन करने से भक्त को स्वामी समर्थ की कृपा प्राप्त होती है।

हे तीर्थ घेइ आठवी रे प्रचिती: इन तीर्थों का सेवन कर और अनुभव कर कि स्वामी समर्थ तुझे कभी नहीं छोड़ेंगे। इन पंचामृतों के माध्यम से स्वामी समर्थ की उपस्थिति का अनुभव कर।

ना सोडती तया, जया स्वामी घेती हाती: जिन्हें स्वामी समर्थ अपने हाथ में ले लेते हैं, उन्हें वे कभी नहीं छोड़ते। उनका आशीर्वाद हमेशा अपने भक्तों के साथ रहता है और उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है।

निष्कर्ष:

स्वामी समर्थ की भक्ति में विभूति, नमन, नाम, ध्यान, और तीर्थ का महत्वपूर्ण स्थान है। इन पंचामृतों का सेवन करने से भक्त को स्वामी समर्थ की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। विभूति का अर्थ है भस्म या पवित्र राख, जो स्वामी समर्थ की शक्ति का प्रतीक है। नमन का मतलब है स्वामी समर्थ को प्रणाम करना और उनके प्रति सम्मान प्रकट करना। नामस्मरण का मतलब है स्वामी समर्थ के नाम का जप करना और उनका स्मरण करना। ध्यान का मतलब है स्वामी समर्थ का ध्यान करना और उनकी उपस्थिति का अनुभव करना। तीर्थ का मतलब है स्वामी समर्थ के पवित्र स्थलों की यात्रा करना और उनकी कृपा प्राप्त करना। इन पंचामृतों का सेवन करने से भक्त को स्वामी समर्थ की उपस्थिति का अनुभव होता है और वे हमेशा भक्तों का साथ देते हैं।

श्री स्वामी चरणविंदार्पणमस्तु ||

श्री स्वामी समर्थ महाराज की जय ।
श्री दत्तगुरु महाराज की जय ।
भिऊ नको मी तुझ्या पाठीशी आहे.
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी !

swami samarth tarak mantra pdf  स्वामी समर्थ तारक मंत्र pdf

स्वामी समर्थ तारक मंत्र के फायदे:

  1. मानसिक शांति: इस मंत्र का जप करने से मन को शांति मिलती है। तनाव और चिंता दूर होती है, और मन में सकारात्मकता आती है।
  2. भय और चिंता से मुक्ति: स्वामी समर्थ के इस मंत्र का नियमित जप करने से भय और चिंता कम होती है। व्यक्ति अधिक निडर और आत्मविश्वासी महसूस करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: इस मंत्र का जप करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। व्यक्ति को आत्मज्ञान और आंतरिक शांति प्राप्त होती है।
  4. कठिनाइयों का सामना: स्वामी समर्थ का आशीर्वाद मिलने से व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों का सामना आसानी से कर सकता है। असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
  5. स्वास्थ्य लाभ: इस मंत्र के जप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। बीमारियों से बचाव होता है और जीवन में ऊर्जा बनी रहती है।
  6. सकारात्मक ऊर्जा: स्वामी समर्थ के इस मंत्र का जप करने से घर और आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  7. प्रगति और सफलता: इस मंत्र का नियमित जप करने से जीवन में प्रगति और सफलता मिलती है। कार्यों में बाधाएं दूर होती हैं और लक्ष्य प्राप्ति में सहायता मिलती है।
  8. कृपा और आशीर्वाद: स्वामी समर्थ की कृपा और आशीर्वाद हमेशा साथ रहता है। उनके आशीर्वाद से हर कठिनाई हल हो जाती है।
  9. परिवार की खुशहाली: इस मंत्र का जप करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। परिवार के सभी सदस्यों को स्वामी समर्थ की कृपा प्राप्त होती है।
  10. आध्यात्मिक मार्गदर्शन: स्वामी समर्थ के इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति को सही मार्गदर्शन मिलता है। जीवन में सही दिशा प्राप्त होती है और गलतियों से बचाव होता है।

स्वामी समर्थ का तारक मंत्र उनके भक्तों के लिए एक अमूल्य वरदान है। यह मंत्र जीवन की हर समस्या का समाधान है और व्यक्ति को हर परिस्थिति में सहारा देता है। स्वामी समर्थ की भक्ति से जीवन में सच्ची शांति, खुशी और सफलता प्राप्त होती है।

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